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Showing posts from July, 2023

कावड़ यात्रा में कासी क्यों जाया जाता हैं : कावड़ यात्रा

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  काशी की कहानी : कावड़ यात्रा कावड़ यात्रा भारत में हिंदू धर्म के एक प्रमुख धार्मिक पर्व है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास के समय आयोजित की जाती है। यह यात्रा मुख्य रूप से गंगा नदी के तट पर स्थित वाराणसी ( काशी ) शहर से शुरू होती है और हरिद्वार या गंगोत्री के जाने के बाद वहां उठाए गए पानी को लेकर वापस लौटने के बाद समाप्त होती है।   कावड़ यात्रा कार्यक्रम के दौरान , कावड़ीयों को सामान वाहन के रूप में अपने कंधों पर रखे हुए विभिन्न मंदिरों में जल चढ़ाना होता है। वे अपने पैरों से चलते हुए नगर निगमों के द्वारा स्थापित की गई कावड़ स्थानों पर अपने सामानों को रखते हैं और उन्हें जल चढ़ाते हैं। यात्री रोज़ाना अन्न और पानी की आपूर्ति की व्यवस्था के लिए तंगा वालों या स्वयंसेवकों के द्वारा सेवा के रूप में इस्तेमाल की जाती है। कावड़ यात्रा की एक महत्वपूर्ण कथा काशी से जुड़ी है। कहा जाता है कि प्राचीन काल मजब काशी शहर में एक गरीब लड़का रहता...

Neem Karoli Baba Aasram Nainital (नीम करौली बाबा आश्रम)

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  नीम करौली बाबा  की कहानी नीम करौली बाबा भारतीय संतों और योगियों की एक महान व्यक्तित्व हैं। वे आध्यात्मिक ज्ञान , प्रेम और सेवा के प्रतीक माने जाते हैं। नीम करौली बाबा का जन्म 1900 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के कांशी में हुआ था । उनके असली नाम नीम करोरीमाल था , लेकिन उन्हें " नीम करौली बाबा " के नाम से प्रसिद्ध किया जाता है। नीम करौली बाबा की शुरुआती जीवन की कई बातें अनसुनी हैं। वे अपने बचपन से ही आध्यात्मिक आदर्शों के प्रतीक थे। उन्होंने युवाओं के बीच अपने आध्यात्मिक अनुभवों को साझा किया और उन्हें धार्मिक ज्ञान का अवसर दिया। उनकी बातों में सीधेपन , सरलता और गहराई थी , जिसके कारण उन्हें लोग पूज्य मानते थे।   नीम करौली बाबा    नीम करौली बाबा ने अपने जीवन का अधिकांश समय उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में बिताया। उन्होंने अपनी साधना और उपासना का केंद्र बनाया और वहां सत्संग आयोजित किए। उनके सत्संग में लोग आकर उनकी आदर्शों के बारे ...